Detailed Notes on Shodashi
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॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥
साहित्याम्भोजभृङ्गी कविकुलविनुता सात्त्विकीं वाग्विभूतिं
The Shreechakra Yantra promotes the many benefits of this Mantra. It's not compulsory to meditate before this Yantra, but if You should purchase and use it throughout meditation, it will eventually give remarkable Gains to you personally.
The underground cavern provides a dome large higher than, and barely seen. Voices echo beautifully off the ancient stone in the partitions. Devi sits inside a pool of holy spring water using a canopy over the top. A pujari guides devotees by way of the entire process of paying out homage and getting darshan at this most sacred of tantric peethams.
Since among his adversaries were Shiva himself, the Kama received enormous Shakti. Missing discrimination, The person started generating tribulations in each of the a few worlds. With Kama owning a great deal of energy, and with the Devas going through defeat, they approached Tripura Sundari for help. Taking on all her weapons, she billed into fight and vanquished him, So preserving the realm of your get more info Gods.
चक्रेऽन्तर्दश-कोणकेऽति-विमले नाम्ना च रक्षा-करे ।
क्या आप ये प्रातः स्मरण मंत्र जानते हैं ? प्रातः वंदना करने की पूरी विधि
देवीभिर्हृदयादिभिश्च परितो विन्दुं सदाऽऽनन्ददं
भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।
श्रींमन्त्रार्थस्वरूपा श्रितजनदुरितध्वान्तहन्त्री शरण्या
करोड़ों सूर्य ग्रहण तुल्य फलदायक अर्धोदय योग क्या है ?
Her part transcends the mere granting of worldly pleasures and extends into the purification in the soul, resulting in spiritual enlightenment.
॥ ॐ क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं श्रीं ॥
मन्त्रिण्या मेचकाङ्ग्या कुचभरनतया कोलमुख्या च सार्धं